प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में दीवाली मिलन कार्यक्रम

ऋषिकेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की ओर से दीपावली के दूसरे चरण में “स्नेह मिलन कार्यक्रम” आयोजित किया गया।
रविवार को गीता नगर में कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि इंद्र प्रकाश अग्रवाल,आरती दीदी व निर्मला बहन ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। बी०के० वंदना बहन ने दीपावली गीत से उपस्थित सभी को शुभकामनाएं दी और बच्चों ने नृत्य व संगीत के विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
मुख्य अतिथि इंद्रप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि ब्रह्माकुमारी संस्था एक अलौकिक संस्था है। मै आज के दिव्य अनुभव को कभी भूल नहीं पाऊंगा। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे आज दूसरी बार मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है, साथ उन्होंने फूल व शाल आरती दीदी को सप्रेम भेंट दी।
इस अवसर पर बी०के० निर्मला बहन ने बताया कि हमें अपने आंतरिक प्रकाश को जागृत कर सच्ची दीपावली मनानी है। जो समाज में जात-पात का भेदभाव चल रहा है वह देहभान की वजह से है। आत्मिक रूप से हम सभी परमात्मा शिव की संतान है। जिसने हम सबको बराबर बनाया है। इसलिए हम सभी को यह प्रण लेना है, कि अपनी आत्मा की बुझी हुई जोत को जलाने के साथ-साथ सबकी ज्योत को जलाने में मदद करनी है
ब्रह्माकुमारी सेंटर ऋषिकेश की प्रमुख संचालिका बालब्रह्मचारिणी, राजयोगिनी, बी०के० आरती दीदी ने बताया गया कि हर वर्ष मिट्टी के दीपक जलाकर मिठाई व आतिशबाजी के साथ प्रकाशोत्सव दिपावली मनाई जाती है। लेकिन परमपिता परमात्मा ने हमें समझ दी है, कि सिर्फ मिट्टी के ही नहीं बल्कि अपनी आत्मा का बुझा हुआ दीपक फिर जलाना है। ताकि समाज में मधुरता, सद्दभावना, सरलता, पवित्रता एवं दिव्यता का समावेश हो। तभी हमारा देश स्वर्ग कहलाएगा। बताया कि तमोप्रधानता अपने चरम सीमा पर पहुंच चुकी है, माता व बहनों के साथ होते दुराचार का मूल कारण अज्ञानता है। लगातार बढ़ते लड़ाई-झगड़ों का मूल कारण आत्मा का शक्तिहीन होना है दुराचार करने वाला व शिकार होने वाला दोनों ही परमात्मा शिव की संतान आपस में भाई-बहन है। मनुष्य को भगवान ने यह शरीर रूपी कपड़ा पृथ्वी पर सत्कर्म करने के लिए दिया था, परंतु धीरे-धीरे कलयुग की तमोप्रधानता में मनुष्य आत्मिक शक्ति को भूल सिर्फ शरीर के भान में पाप-कर्म कर रहा हैं। परमात्मा शिव को सभी धर्म “एक ओंकार”, “गॉड्स इस लाइट”, “अल्लाह” आदि कह कर पुकारते हैं। इसलिए जब आपस में भाई-चारा बड़ेगा तो भेदभाव मिटेगा और यह सृष्टि जल्दी ही बैकुण्ड बन जाएगी।
बताया कि मनुष्य की देह के भले ही अलग-अलग धर्म है। परंतु आत्मा का एक ही धर्म है। हमें सिर्फ पटाखे ही नहीं चलाने बल्कि अपनी चेतन-शक्ति को जागृत करना है और सिर्फ घरों की सफाई ही नहीं करनी बल्कि अपनी आत्मा में लगे क्रोध, वैमनस्य, लालच, व मोह के जालो को साफ कर सच्ची दीपावली मनानी है। तभी मां लक्ष्मी का घर व जीवन में आगमन होगा। लक्ष्मी जी से सभी धन-संपत्ति की कामना रखते हैं परंतु लक्ष्मी का असली अर्थ है, परिवार के हर सदस्य में आपस में प्रेम भाव बना रहे, तभी हर घर स्वर्ग बनेगा। हमारी संस्कृति देवी-देवताओं की दिव्य संस्कृति है। देवता माना देने वाला, इसलिए जो हम स्वमं के लिए चाहते हैं। पहले हमें उसे देने वाला बनना जरूरी है।
आश्रम के समर्पित कुमार भाई बी०के० नवनीत ने अपना अनुभव बताया कि उनके जीवन में राजयोग से कितने परिवर्तन हुए।
इस दौरान राजेंद्र सिंह, दिनेश सुयोला, अनीता रयाल, भगवती बहनें मौजूद रहें।