गीता ज्ञान से ही विकारो और अधर्म का विनाश करती है: बीके आरती

ऋषिकेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के गीतानगर केंद्र में सोमवार को गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने गीता ज्ञान से विकारों और अधर्म का विनाश कर सतयुगी दुनिया का निर्माण करने पर जोर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि पंचमुखी हनुमान मंदिर वीरभद्र के महामंडलेश्वर स्वामी गणेशदास रामायणी, तुलसी मानस मंदिरऋषिकेश के महंत रवि प्रपन्नाचार्य शास्त्री, महामंडलेश्वर स्वामी स्वतंत्रतानंद सरस्वती, संस्था के दून सब जोन की प्रमुख संचालिका बीके मंजू और ऋषिकेश प्रमुख बीके आरती ने संयुक्त रूप से किया।
स्वामी गणेशदास ने कहा कि अहसास होता है कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी इसका सारथी स्वयं ईश्वर है। पूरी सृष्टि का बीज यह प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ही है।
महंत रवि प्रपंचाचार्य ने कहा कि इस ईश्वरीय विश्वविद्यालय में आने का प्रथम अवसर मिला है। यहां पढ़ने वाले साधकों का परम सौभाग्य है कि वह भगवान शिव से ईश्वरीय ज्ञान अर्जित कर रहे हैं। ब्रह्माकुमारी संस्था ने पूरे विश्व में अनुशासन,सेवा, समर्पण और सरलता से अपना वर्चस्व कायम किया है।
इस अवसर पर बीके आरती ने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य गीता ज्ञान से ही विकारो और अधर्म का विनाश, एवं सतयुगी दुनिया की स्थापना करना है।कहा कि गीता में लिखे अनुसार जब-जब धर्म की अति ग्लानि होती है। तब तब परमात्मा का अवतार होता है। आज कलयुग में मदिरालय भरे हुए हैं, और शिवालय खाली है।
स्वामी स्वतंत्रतानंद ने कहा कि गीता हमारा मार्गदर्शन करती है। गीता का सार ही त्याग है।