ग्रामीण भारी बारिश के बीच खुले में करने को मजबूर दाहसंस्कार, मुनिकीरेती मुक्तिधाम में नहीं बना शेड।

ब्यूरो, ऋषिकेश/ मुनिकीरेती।
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रिपोर्ट। खुशबू गौतम
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जहां जीवन की अंतिम विदाई शांति और सम्मान से होनी चाहिए। वही मुनिकीरेती पूर्णानंद के गंगा घाट पर बरसात के पानी में भीगते शव, अधजली चिताएं और भीगते परिजन, प्रशासन की इस व्यवस्था पर एक मौन चीख देखने को मिल रही हैं।
मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद घाट पर मौत के बाद भी मृतकों को सम्मानजनक विदाई नहीं मिल पा रही है। टीन शेड न होने के कारण बरसात के मौसम में खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार हो रहा है। ग्रामीण मजबूरी में अधजले शवों को गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं। मानवता को झकझोरने वाला दृश्य इन दिनों मुनिकीरेती स्थित पूर्णानंद गंगा घाट पर देखा जा सकता है। जहां बरसात के मौसम में खुले आसमान के नीचे शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यह दृश्य सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही ही नहीं, बल्कि ग्रामीणों की पीड़ा और बेबसी की भी मार्मिक भी बयां रहीं है। पर्वतीय क्षेत्रों और दूर-दराज़ गांवों से आए लोग अक्सर पूर्णानंद गंगा घाट पर अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार करते हैं।
लेकिन बड़ी विडंबना यह है, कि नगर पालिका कि ओर से बनाए गए मुक्तिधाम में अब तक एक टीन शेड तक नही बनाया गया। बरसात के मौसम में लोग भारी बारिश के बीच दाहसंस्कार करने को विवश हैं। अक्सर हल्की बारिश के दौरान ही चिता जलाने का प्रयास किया जाता है। लेकिन अचानक तेज बारिश आने पर शव अधजले रह जाते हैं। मजबूर होकर ग्रामीण अधजले शवों को गंगा में प्रवाहित करने को मजबूर हो जाते हैं। जो धार्मिक और मानवीय दृष्टिकोण से अत्यंत पीड़ादायक है। जब
अफसोस की बात यह है कि जब इस पर सवाल उठाए जाते हैं, तो प्रस्ताव भेजा गया है,जल्द काम शुरू होगा जैसे घिसे-पिटे जवाबों से बात टाल दिया जाता है। प्रश्न यह नहीं है कि टीन शेड कब लगेगा। प्रश्न यह है कि मौत के बाद भी क्या किसी को गरिमा से विदाई देना अब प्रशासन की प्राथमिकता नहीं रही।