June 21, 2025

मरने के बाद भी रमेश अग्रवाल की आंखे देखती रहेगी दुनिया

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ऋषिकेश। रक्तदान को जीवनदान कहा जाता है, और वर्तमान समय में लोगों द्वारा नेत्रदान को महादान की संज्ञा दी जा रही है। लगातार रक्तदान करने वाले परिवारों के आगे आने से नेत्रदान करने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है, जिसका श्रेय उन सभी सामाजिक संस्थाओं को जाता है जो लगातार रक्तदान के साथ-साथ नेत्रदान के लिए भी कार्य कर रही हैं।

इसी कड़ी में, नगर में रक्तदान करने वाले अनूप अग्रवाल ने अपने पिता रमेश कुमार अग्रवाल जिनका एक शतकीय जीवन जीने के बाद आकस्मिक निधन हो गया अपने जीवन में लिए गए संकल्प का पालन करते हुए उनके नेत्रदान का कार्य संपन्न कराया।

विस्तृत जानकारी देते हुए नेत्रदान कार्यकर्ता और लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के चार्टर अध्यक्ष गोपाल नारंग ने बताया कि गुरुवार सायंकाल रमेश कुमार अग्रवाल के आकस्मिक निधन पर उनके पुत्र अनुप अग्रवाल ने अपने भाई डॉ. नरेश अग्रवाल, राजेश अग्रवाल और मुकेश अग्रवाल की सहमति लेकर नेत्रदान कार्यकर्ता अनिल कक्कड़ को सूचित किया।

इस सूचना पर ऋषिकेश आई बैंक, एम्स हॉस्पिटल की नेत्रदान की रेस्क्यू टीम संदीप गोसाई, पवन नेगी के साथ उनके निवास स्थान पर पहुंची और दोनों कॉर्निया सुरक्षित प्राप्त कर लिए।

नेत्रदान के इस पुनीत कार्य के लिए ललित मोहन मिश्रा, संदीप मल्होत्रा, राघवेंद्र अग्रवाल और शैलेंद्र बिष्ट ने परिवार को साधुवाद दिया।

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