” गमगीन आंखों से कराया नेत्रदान “

ब्यूरो,ऋषिकेश।
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नेत्रदान के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ती जा रही है, लोग दुख की घड़ी में अपना दुख भूल कर नेत्रदान के लिए आगे आ रहे हैं। साथ ही जानकारी के अभाव में कई परिवार व्यवस्था न मिलने के कारण दुख की घड़ी में नेत्रदान भी नहीं करवा पा रहे हैं। तथा दृढ़ निश्चित परिवार किसी प्रकार व्यवस्था कर ही लेता है।
नेत्रदान कार्यकर्ता व लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के चार्टर अध्यक्ष गोपाल नारंग ने बताया कि डोभाल वाला देहरादून निवासी मात्र 38 वर्षीय नीरज कपराण का उपचार करते हुए चिकित्सक ने बचने की उम्मीद से मना करने पर दिया परिवार पर वज्रपात हो गया।
असीम दुख की घड़ी में परिवार की सोचने ,समझने की शक्ति खत्म हों गई। ऐसी विषम परिस्थिति में उनके भाई पंकज कपराण ने पिता शिव प्रसाद से नेत्रदान के लिए मुक स्वीकृति प्राप्त कर निदान कर रहे चिकित्सक को बताया व नेत्रदान के लिए कहा।चिकित्सालय में व्यवस्था न होने के वावजूद अपने जानकारों से चर्चा की।
चिकित्सक के जानकार हिमांशु जोशी ने नारंग को सुचित किया। जिनके आग्रह पर हिमालयन हॉस्पिटल की नेत्रदान की रेस्क्यू टीम ने मृत्योप्रांत देहरादून जाकर दोनों कार्निया सुरक्षित प्राप्त कर लिए। प्रोफेसर हर्ष बहादुर अनुसार प्रारंभिक जांच में दोनों कार्निया स्वस्थ हैं, जिन्हें आवश्यक जांचों के बाद दो नेत्रहीनों की आंखों में प्रत्यारोपित कर दिया जाएगा।
लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के अध्यक्ष राजीव अरोड़ा के अनुसार मिशन का 402 वां सफल प्रयास है जो अविरल चलता रहेगा।