परमार्थ निकेतन में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ऊर्जा संचय समागम का अभ्यास कराया

ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के गंगा तट पर ऊर्जा संचय समागम शिविर का आयोजन किया गया। जिसका विधिवत उद्घाटन बागेश्वर धाम सरकार धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने दीप प्रज्वलित कर किया।
बृहस्पतिवार को बागेश्वर धाम सरकार की मौजूदगी में आध्यात्मिक शिविर का आयोजन किया गया। जिसका उद्देश्य ’’आध्यात्मिक ऊर्जा’’ का संचय और अपने व प्रकृति के प्रति ’’जागरूकता’’ को बढ़ाना है।
इस समागम में भारत सहित विश्व के अन्य देशों से आए प्रतिभागियों ने धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का सत्संग व उद्बोधन को सुना। धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने साधकों को ’’ध्यान की विभिन्न विधाओं, जप साधना, ध्यान साधना, पूर्वजों को धन्यवाद देने वाली साधना के माध्यम से मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने के साथ मन के विकारों के शमन का अभ्यास कराया। प्रतिभागियों ने ’’आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी’’, के साथ उन्हें ’’पूज्य संतों से वार्तालाप’’ का भी अवसर प्राप्त हुआ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती के कहा कि साधना, ध्यान, सत्संग व योग के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के साथ ’’आध्यात्मिक उन्नति’’ के साथ ’’विश्व शांति’’ की ओर कैसे बढ़ा जा सकता है इस पर उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि इस ऊर्जा संचय समागम शिविर के माध्यम से आप स्वयं के मन, विचार और व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन लाकर परिवार व समाज में ’’सद्भावना और एकता’’ का वातावरण निर्मित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
कहा कि सरल व सहज ध्यान की विधाओं से अद्भुत ध्यान करा रहे हैं। वे मार्गदर्शन में ध्यान कर प्रतिभागी गद्गद् हो रहे हैं। वे अद्भुत रूप से ऊर्जा संचय की विधाओं करा रहे हैं। साधक के एक ही दिन के अनुभव विलक्षण है। वास्तव में युवाओं को ऐसी साधना पद्धति की जरूरत है जिससे वे अपने आप से, प्रकृति से, अपने पूर्वजों से और अपने मूल्यों से जुड़ सकते हैं।