June 21, 2025

शिवरात्रि पर्व पर कार्यशाला

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ऋषिकेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में शिवरात्रि के पर्व पर एक कार्यशाला आयोजित की गई।

‌‌‌‌ गीता नगर में आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर एम्स की डायरेक्टर मीनू सिंह और जगतगुरु महामंडलेश्वर स्वामी 1008 अभिषेक चैतन्य गिरी महाराज उपस्थित रहे।

ऋषिकेश सेंटर की प्रमुख संचालिका राजयोगिनी बाल-ब्रह्मचारिणी आरती ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ द्वारा किया गया।

मुख्य अतिथि मीनू सिंह  ने संस्था की बहनों का आभार व्यक्त किया व नव निर्मित तपस्या धाम के बनने की बधाई दी‌, उन्होंने कहा यहां जो राजयोग का कोर्स कराया जाता है उससे मन को शांति मिलती है, जैसे हम डॉक्टर दवाइयां के द्वारा लोगो के शरीर को स्वस्थ करते हैं ऐसे ही राजयोग मेडिटेशन द्वारा मन को तंदुरुस्त किया जाता है। यह जीवन जीने की कला व पारिवारिक संबंधों में ताल-मेल सिखलाता है

विशिष्ट अतिथि स्वामी ने पाप की परिभाषा समझायी, उन्होंने कहा जिस काम को करने से स्वयं व दूसरों को दुख हो वह पाप है, हमारी 10 इंद्रियां हैं जिनमें पांच कर्मेंद्रियां पांच ज्ञानेंद्रिय है पाप दोनों से होता है अर्थात पाप हाथ से भी होता है और कानों से भी होता है पाप से छूटने के लिए क्या करना है यह किसी को पता नहीं, इसलिए गल्ती होती रहती हैं, अपने गुरुजी के लिए गलत सोचना वर बोलना भी पाप है।

वहीं  बी०के० आरती ने शिवरात्रि के वास्तविक अर्थ पर प्रकाश डाला और बताया कि मनुष्य बड़ी श्रद्धा व उत्साह से शिवरात्रि मनाते हैं अर्धरात्रि से ही लाइन में लग जाते हैं एवं शिवजी पर जल व दूध के साथ-साथ अर्क के फूल, धतूरा, बेलपत्र आदि चढ़ाते हैं जो कि समान्यत: देवी देवताओं पर नहीं चढ़ाए जाते, क्या कभी सोचा है देवी देवताओं पर खुशबूदार फूल व मिठाई एवं शिव पर भागं, धतूरा इत्यादि, बेर अर्थात अन्दर की ईष्या बैर-भाव को चढ़ाना, धतूरा विषय-विकारो के अर्पण का प्रतीक है, भांग का अर्थ है कि परमात्मा के प्यार का नशा करना है स्थूल भांग का नहीं, तभी हमारे भंडारे भरपूर होंगे। बैल पत्र तीनो कालो को दर्शाते हैं, कि आदि में हम ही देवी-देवता थे और हमने फिर से उस देव पद को प्राप्त करना है। शिवलिंग पर तीन लाइन व बिंदु दर्शाता है कि शिव तीनों लोको के स्वामी हैं, त्रिलोकी नाथ है, स्वमभू है, व जन्म मरण में नहीं आते। वह सृष्टि के अंत में तन का आधार लेते हैं जिसका शास्त्रो में भी गायन है कि परमात्मा ने बूड़े ब्राह्मण के तन में प्रवेश किया व साधु-बनिया पहचान नहीं पाया। इस समय चारों ओर अंधेरा है व परमात्मा शिव का धरा पर अवतरण अज्ञानता के अन्धकार को मिटाने शिवरात्रि पर होता है।

इस अवसर पर कार्यक्रम में मंच का संचालन प्रकाश ने किया।

इस दौरान प्रिंसिपल अनीता रियाल, प्रिंसिपल कमलेश शर्मा, कुसुम जोशी, डॉ० एन बी श्रीवास्तव, वरिष्ठ कल्याण के सदस्य के एस राणा मौजूद रहें।

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