भैरव सेना ने माणा गांव के पूर्व प्रधान और महाराष्ट्र के विश्वनाथ कराड का किया पुतला दहन

ऋषिकेश। भैरव सेना संगठन ने नारेबाजी करते हुए माणा गांव के पूर्व प्रधान पीतांबर मोल्फा और विश्वनाथ कराड का पुतला दहन किया।
गुरुवार को त्रिवेणी घाट चौक पर माणा गांव में स्थित पौराणिक सरस्वती मंदिर में महाराष्ट्र के विश्वनाथ कराड ने मृतक पूर्वजों की मूर्तियां स्थापित करवाने को लेकर नाराजगी जताई है और चेतावनी दी है कि यदि वह स्वयं इस मूर्ति को नहीं हटाते हैं तो संगठन 20 जुलाई को वहां पर जाकर मूर्ति को हटाने का काम करेगी।
भैरव सेना के केंद्रीय अध्यक्ष संदीप खत्री ने बताया कि संगठन द्वारा पिछले तीन वर्षों से मूर्ति प्रकरण पर भारी विरोध राज्य स्तर पर दर्ज किया गया है। जिसको लेकर संवैधानिक रूप से ज्ञापन प्रक्रिया, पुतला दहन, अनशन के साथ संलिप्त व्यक्तियों से बातचीत कर प्रकरण पर संज्ञान लेकर निपटान का आग्रह भी किया गया। लेकिन शैतानी मानसिकता के विश्वनाथ कराड, प्रकरण में मुख्य रूप से सम्मिलित माणा गांव के पूर्व प्रधान पीतांबर मोल्फा और अन्य सम्बंधित व्यक्तियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी, बल्कि अनावश्यक दबाव बनाकर संगठन द्वारा की जा रही प्रशासनिक कार्रवाई में भी अपने रसूख से हस्तक्षेप कर प्रकरण को दबाने का प्रयास किया गया। लेकिन भैरव सेना किसी भी दबाव और प्रभाव में आकर अपने देवभूमि की शास्त्र संस्कृति और परंपराओं के साथ खिलवाड़ नहीं होने देगा। संगठन 20 जुलाई के पश्चात स्वयं मूर्तियों को मंदिर और गर्भ गृह से बाहर करने की कार्यवाही करेगा। मूर्तियों को मंदिर प्रांगण से बाहर करने के दौरान हर प्रकार के विरोध और संघर्ष का सामना करने के लिए संगठन हर प्रकार से तैयार है।
भैरव सेना की प्रदेश अध्यक्षा काजल चौहान के अनुसार संगठन द्वारा सन 2021 से सरस्वती नदी के उद्गम स्थल पर स्थित पौराणिक मंदिर में मां सरस्वती के साथ विश्वनाथ कराड के मृतक भाई-बहन, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, महाराष्ट्र प्रान्त से संबंधित संत तुकाराम तथा संत ज्ञानेश्वर की मूर्तियों को गर्भ गृह में स्थापित करने को लेकर लगातार अपना विरोध दर्ज कर रहा है। जिसको लेकर देहरादून, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर इत्यादि जगहों पर विभिन्न माध्यमों के द्वारा शासन प्रशासन तक अपनी बात पहुंचाई गई।
युवा मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष करण शर्मा ने कहा कि संगठन द्वारा संवैधानिक रूप से अपना हर प्रकार का विरोध दर्ज किया गया अब संगठन किसी भी सूरत में पीछे नहीं हटेगा और मंदिर प्रांगण से मूर्तियों को जबरन बाहर करवाएगा।
स्वामी केशव स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि धर्मस्व को पर्यटन में तब्दील करना बहुत ही निराशाजनक है। देवभूमि की पहचान अध्यात्मिकता तथा तीर्थाटन में है, पर्यटन को प्रथमिकता देने से तीर्थों में अमर्यादित पहुंचने वालों को धर्मस्व तथा पर्यटन विभाग की मिलीभगत माना जा सकता है।
इस दौरान इंदिरा पौडल, अमन, गीता देवी, सविता, प्रतिभा, विशाल, इंद्रजीत, चतुरानंद मलेथा मौजूद रहें।