August 24, 2025

“आंखों की सुरक्षा ही दृष्टि का सबसे बड़ा बचाव”: नागलिया

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ब्यूरो, ऋषिकेश।

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40वें राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े (25अगस्त से8 सितंबर)के अंतर्गत धूल, मिट्टी, लोहे, लकड़ी के कणों तथा रसायनों से होने वाली आंखों की समस्याओं से बचाव हेतु लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि द्वारा एम्स ऋषिकेश के सहयोग से नगर में जरूरतमंदों को निःशुल्क चश्मों का वितरण किया जाएगा।

लायंस क्लब ऋषिकेश देवभूमि के पूर्व अध्यक्ष एवं कार्यक्रम संयोजक लायन नवदीप नागलिया ने बताया कि रेत-बजरी, मार्बल का कार्य करने वाले, आरा मशीन अथवा लकड़ी फाड़ने वाले तथा रसायनों के संपर्क में रहने वाले लोग अक्सर बिना चश्मे के कार्य करते हैं। ऐसे में कार्यस्थल पर हुई दुर्घटनाओं से उनकी आंखों में गंभीर चोट लग जाती है, जिससे कई बार दृष्टि तक चली जाती है। उन्होंने कहा कि “दुर्घटना के बाद इलाज कराने से बेहतर है बचाव करना”, इसी दृष्टिकोण से नेत्रदान पखवाड़े के दौरान जरूरतमंदों को निःशुल्क चश्मों का वितरण किया जाएगा। इच्छुक व्यक्ति क्लब के किसी भी सदस्य से चश्मा प्राप्त कर सकता है।

एम्स ऋषिकेश नेत्र रोग विभागाध्यक्ष प्रो. संजीव मित्तल ने बताया कि ओक्यूलर ट्रॉमा (Ocular Trauma/नेत्र आघात) आंखों की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक है। औद्योगिक क्षेत्रों, निर्माण कार्य, खेती-बाड़ी या घर में काम करते समय छोटी-सी चिंगारी, धातु का कण, लकड़ी का टुकड़ा या रसायन भी आंख को स्थायी नुकसान पहुँचा सकते हैं। भारत में लगभग हर पाँचवां नेत्र आघात दुर्घटना या असावधानी के कारण होता है। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे मामलों में समय पर इलाज न मिलने से रोगी की दृष्टि हमेशा के लिए चली जाती है।

प्रो. मित्तल ने कहा कि “सुरक्षा चश्मा पहनना सबसे आसान और प्रभावी उपाय है, जिससे 90% नेत्र आघात रोके जा सकते हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि ग्रामीण व अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जागरूकता की कमी के कारण लोग आंख की चोट को मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि सही समय पर उपचार से आंख को बचाया जा सकता है।

इस दौरान चार्टर अध्यक्ष गोपाल नारंग, जितेंद्र आनंद, राजकुमार बालियान एवं संगीता आनंद ने इस कार्यक्रम का दायित्व सौंपने के लिए एम्स प्रशासन, प्रो. संजीव मित्तल, प्रो. अनुपम सिंह, डॉ. शाश्वत शेखर, डॉ. नीति गुप्ता तथा एसएनओ महिपाल चौहान का आभार व्यक्त किया।

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