June 23, 2025

किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले मरीजों ने साझा किए अपने अनुभव

0

ऋषिकेश।  सफलतापूर्वक तीन मरीजों का किडनी प्रत्यारोपण हो चुका है। एम्स, दिल्ली के सहयोग से सफल गुर्दा ट्रांसप्लांट के इन तीनों मामलों में डोनर व पेशेंट पूरी तरह से स्वस्थ हैं। जहां एक ओर पेशेंट्स किडनी प्रत्यारोपण के बाद अपना नवजीवन खुशी के साथ व्यतीत कर रहे हैं वहीं अपने प्रियजनों को किडनी दान करने वाले पारिवारिकजन भी इस पुण्य से प्रसन्नचित हैं।

संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में तीनों किडनी दानदाताओं और मरीजों ने अपने अनुभव साझा किए हैं, साथ ही दूसरे लोगों को अंगदान के लिए आगे आने को प्रेरित किया है। कुमाऊं मंडल निवासी पेशेंट विक्रम नेगी ने बताया कि संस्थान में चिकित्सकों द्वारा किडनी प्रत्यारोपण कराने के सुझाव के बाद वह कई तरह की शंकाओं से घिरे हुए थे। बकौल विक्रम नेगी उनके मन में सवाल था कि किडनी प्रत्यारोपण का क्या परिणाम रहेगा, क्या परिजन से किडनी प्रत्यारोपण के बाद क्या मैं ठीक हो सकूंगा, मगर जब मेरे किडनी ट्रांसप्लांट की जांच प्रक्रिया पूरी हुईऔर चिकित्सकों ने मुझे भरोसा दिलाया कि मैं फिर से स्वस्थ जीवन जी सकूंगा तो मेरे मन में उम्मीद की किरण जगी। वहीं दूसरी ओर विक्रम के पिता लक्ष्मण सिंह नेगी का कहना है कि उनके मन में अपने पुत्र को किडनी डोनेट करने के दौरान कोई सवाल नहीं था और वह पूरी तरह से इसके पक्ष में थे लिहाजा संपूर्ण उपचार प्रक्रिया के दौरान वह अपने घर नहीं लौटे। उन्हें इस सफलता पर पूरा भरोसा था और आखिर चिकित्सकों के अथक प्रयासों व प्रोत्साहन से यह कामियाबी हासिल हो सकी और मेरे पुत्र को नया जीवन मिला।

दूसरे किडनी डोनर सुनीता देवी ने अपने पुत्र सचिन को किडनी दान दी थी। सचिन की पत्नी सपना ने बताया कि उनके परिवार को पति की इस बीमारी से उबारने के लिए पारिवारिकजनों से अधिक एम्स अस्पताल के चिकित्सकों का अधिक सपोर्ट मिला है। सपना के अनुसार उनके पति अनेक तरह की गंभीर बीमारियों से ग्रसित थे, ट्यूबरक्लोसिस टीबी और अन्य मल्टीपल इन्फेक्शन से ग्रसित उनके पति की किडनी खराब होने से उन्हें महीनों तक विभिन्न अस्पतालों में पहले नसों के जरिए और बाद में पेट के माध्यम से अपने पति का डायलिसिस कराना पड़ा। इस दौरान एम्स के चिकित्सकों ने उन्हें अपने पति की किडनी ट्रांसप्लांट का सुझाव दिया, मगर शुरुआत में उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता पर यकींन नहीं हुआ, ऐसी स्थिति में एम्स के चिकित्सकों यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अंकुर मित्तल व नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख डॉ. शेरोन कंडारी के भरोसा दिलाने व बार बार इस किडनी प्रत्यारोपण के लिए प्रेरित करने पर उन्हें और उनके परिवार की उम्मीद जगी और वह इसके लिए तैयार हो गए। बकौल सपना वह जब आठ माह की गर्भवती थीं, तब उन्हें पता चला कि उनके पति किडनी पेशेंट हैं। लिहाजा उनका नियमित डायलिसिस होने लगा। बीमारी से वह मायूस रहने लगे, एक दिन उनके पति एम्स से डायलिसिस कराकर घर लौटे ही थे कि तभी डॉ. शेरोन कंडारी का फोन आया, उस फोन को अटेंड करने के बाद

उनमें जीवन को लेकर उम्मीद की किरण जागने लगी और उन्होंने परिजनों से कहा कि अब सब ठीक होगा। इसके बाद किडनी प्रत्यारोपण की प्रक्रिया शुरू हुई और चिकित्सकों द्वारा उनके परिवार का भरोसा जगाने पर उनके पति को नया जीवन मिल सका, अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उनका मानना है कि यदि पेशेंट के बाद किडनी डोनर है तो डायलिसिस की लंबी प्रक्रिया से कहीं बेहतर किडनी प्रत्यारोपण के बाद ताउम्र दवा लेना है।

तीसरे किडनी पेशेंट निर्दोष को उनकी माता शकुंतला देवी ने अपनी किडनी डोनेट की। पेशेंट निर्दोष के अनुसार उनकी दोनों किडनियों में पथरियां फंसी थी, लिहाजा उन्हें एम्स अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज के लिए लाया गया था। जहां सबसे पहले यूरोलॉजी विभाग द्वारा उनकी दोनों किडनियों का ऑपरेशन कर पथरियां हटाई गईं। इसके बाद तीसरे ऑपरेशन में उनको किडनी प्रत्यारोपित की गई। बकौल निर्दोष प्रत्यारोपण को लेकर उनके मन में कई तरह शंकाएं थी, मसलन जांच रिपोर्ट कैसी रहेगी, ट्रांसप्लांट हो पाएगा या नहीं, इसके परिणाम क्या होंगे, मगर उनके मन की तमाम शंकाएं लगातार चिकित्सकीय टीम का सपोर्ट मिलने से मिटती चली गईं और विश्वास बढ़ता चला गया। निर्दोष ने बताया कि उन्हें इस तमाम प्रक्रिया में एम्स के नेफ्रोलॉजी विभाग व यूरोलॉजी विभाग का बहुत सपोर्ट मिला। इन विभागों के चिकित्सकों ने मुझे और मेरे परिजनों को उम्मीद बंधाई कि सब ठीक होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed