पौड़ी बना साइकिलिंग के लिए मुफ़ीद स्थल

पौड़ी।
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शरीर को ऊर्जा देने, मानसिक सुकून पाने और बेहतर स्वास्थ्य की दिशा में साइकिल चलाना अब सिर्फ एक शौक नहीं रहा, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा बनता जा रहा है। लोग अब साइकिलिंग को न केवल फिटनेस का माध्यम मानते हैं, बल्कि इसे प्रकृति से जुड़ने और पर्यावरण संरक्षण का ज़रिया भी बना चुके हैं।
पौड़ी जिले में साइकिल चालकों के लिए कई खूबसूरत और चुनौतीपूर्ण रास्ते हैं। पौड़ी-खिर्सू, कंडोलिया-घुड़दौड़ी, श्रीनगर-खिर्सू, दुगड्डा-नैनीडांडा जैसे मार्ग घने जंगलों और ऊँचाई वाले क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं, जहां चलते हुए प्रकृति की सुंदरता और ताजगी का अनुभव होता है। इसके अलावा व्यासघाट-सतपुली, सतपुली-खैरासैंण, श्रीनगर-धारी देवी, कोटद्वार-कण्वाश्रम रूट भी साइकलिंग के लिये बेहद खूबसूरत हैं।
जिला पर्यटन विकास अधिकारी खुशाल सिंह नेगी ने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर इन मार्गों पर साइकिल रैलियों का आयोजन किया जाता है, जिसमें स्थानीय साइकिल प्रेमी उत्साह से भाग लेते हैं। ये रूट प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं और साइकिल चलाते हुए जंगल, पहाड़, वन्यजीवों और शुद्ध वातावरण का अनुभव मिलता है।
जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी शैलेंद्र पांडेय ने बताया कि साइकिल चलाने से न केवल हृदय स्वस्थ रहता है, बल्कि जोड़ों का दर्द, मोटापा, तनाव, गठिया जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। इसके अलावा शरीर में लचीलापन आता है, वजन नियंत्रित रहता है, मानसिक तनाव कम होता है और हृदय संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। यह जोड़ों व मांसपेशियों को मजबूत करता है। कहा कि घर पर भी स्टैटिक साइकलिंग करके कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
श्रीनगर के डॉ. सुधीर जोशी व डॉ. विनीत पोस्ती ने अपनी दिनचर्या में बदलाव करते हुये साइकिल को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना दिया है। वह प्रतिदिन 10 से 15 किलोमीटर साइकिलिंग करते हैं। उनका कहना है कि साइकिल चलाने से शरीर को फिट रखने के साथ-साथ मन को भी शांति मिलती है। उन्होंने अन्य लोगों को भी साइकिल को अपनी दिनचर्या बनाते हुये इसका लाभ उठाने की अपील की है।