नवनिर्मित भवन का उद्घाटन रंगारंग कार्यक्रम के साथ हुआ संपन्र

ऋषिकेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, गीता नगर, के नवनिर्मित भवन का उद्घाटन रंगारंग कार्यक्रम के साथ संपन्र हुआ।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि राष्ट्रीय संयोजिका राजयोगिनी, बी०के० शारदा ने बताया कि आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो सभी इंद्रियां शांत हो जाती हैं, जैसा कर्म आत्मा करती है उसी अनुसार आत्मा पाप-आत्मा, देव-आत्मा, पुण्य-आत्मा कहलाती है, हम सब समाज व जीवन में परिवर्तन चाहते हैं, शांति चाहते हैं, परंतु ढूंढ उसे जंगल व पहाड़ों पर रहे हैं, जहां शांति निवास करती है वहां उसे ढूढं ही नहीं पा रहे हैं। वह है हमारा अंतर्मन, हमने आत्मा का धर्म भूलकर देह की दीवारें खड़ी कर दी है, इस दुनिया को बैकुंठ व सोने की चिड़िया बनाने के लिए हम सभी को अपने अंतर्मन से साधना करनी है तभी सतयुग वापस आएगा।
विशिष्ट अतिथि महामंडलेश्वर स्वामी असंगानन्द महाराज ने बताया परमात्मा ने कहा मेरा जो विश्व में आकरी रूप है, जब तक मैं नहीं होगा उसमें चेतना कहां से आएगी, इसलिए मैं सर्वत्र निवास करता हूं।
इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी विजयानंद महाराज ने बताया कि आज का मनुष्य तीन चीजों में फंसा है, आध्यात्मिक ताप, भौतिक ताप व आदि-भौतिक ताप। आध्यात्मिक ताप है मनुष्य का क्रोध,अहंकार, लोभ, मोह आदि। भौतिक ताप है प्राकृतिक आपदाएं एवं आदि-भौतिक ताप है शरीर के कर्म एवं उसकी व्याधिया।
कार्यक्रम में नि. वर्तमान मेयर अनीता मंमगाई, गगन सिंह बेदी , दुष्यंत सिंह , सुजीत सिंह,सचिव सुलोचना, सचिव तनु जैन, दीप शर्मा, एडवोकेट दीनानाथ अग्रवाल, नवल किशोर कपूर, श्री प्रमोद जैन एवं सचिव आदि उपस्थित रहे