ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और होली समारोह धूमधाम से मनाया

ऋषिकेश। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस और होली के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया।
सोमवार को बतौर मुख्य अतिथि बिंदिया अग्रवाल विशिष्ट अतिथि पूनम शर्मा, नलिनी शर्मा, डॉ शीतल, माधवी गुप्ता, बी०के० आरती दीदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि बिंदिया ने बताया कि जीतने के बाद उन्हें प्रथम बार इस संस्था में आकर एक दिव्य अनुभूति हुई है। उन्होंने बताया कि दीप प्रज्वलन के गीत की एक पंक्ति ने उन्हें बहुत प्रभावित किया है। हम अपने संकल्पों के दीप जलाएं, कहा कि ईश्वर ने जो हमें जिम्मेदारी दी है। अगर हम उनका सत्यता से निर्वाह करें तो हम एक अच्छे परिवार व अच्छे समाज का आधार बन सकते हैं, और मुझे पूर्ण विश्वास है, कि मैं दीदी के आशीर्वाद से अपने क्षेत्र के लिए सकारात्मक कार्य कर पाऊंगी।
विशिष्ट अतिथि नालिनी शर्मा ने बताया ब्रह्मकुमारी संस्था का सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में बहुत बड़ा योगदान है, यहां की शिक्षाएं विश्व शांति व सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है, इस संस्था में मुझे शान्ति की अनुभूति होती है और मैं नई उर्जा से भर जाती हूं।
विशिष्ट अतिथि पूनम ने कहा, मां गंगा के तट पर बसे इस पवित्र आश्रम में देवों के देव शिव को नमन करते हुए सभी महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं देती हूं। मां के गर्भ से जन्म लेते ही हम संस्कार प्राप्त करना आरंभ कर देते हैं, बालिका जब व्यस्क होती है तो वह बहुत सारी जिम्मेदारियों का वहन करती है इसीलिए कहा जाता है कि एक बालिका को शिक्षित करना समाज को दिशा देना है, आज के रंगारंग कार्यक्रम के गीत की एक पंक्ति – कोमल है तो कमजोर नहीं, शक्ति का नाम ही नारी है, जग को जीवन देने वाली, मौत भी तुझे हारी है। बिल्कुल सही है।
राजयोगिनी, बालब्रह्मचारिणी बी०के० आरती ने सर्वप्रथम सबको ओम ओम शांति की ध्वनि से शांति के मेडिटेशन की कराई। सभी महिलाओं को महिला दिवस व होली की की शुभकामनाएं देते हुए। कहा कि दुनिया में सेलिब्रेट के लिए हर चीजों के लिए अलग दिन बनाए हैं। हम बच्चों के लिए पुरुषोत्तम संगमयुग के हर दिन को विशेष व कल्याणकारी बनाया है। बस हमारी सोच पवित्र, सकारात्मक व शक्तिशाली होनी चाहिए दैहिक रूप में चाहे नर हो या नारी हो, दोनों को ही परमपिता परमात्मा ने शक्ति रूपा बनाया है। अब समय है हमें भाई-भाई के नारे को अमल मे लाकर इसे सच बनाना है। पुरुष व स्त्री दोनों को चलाने वाली जो शक्ति है। वह आत्मा है। आत्मा की शक्ति घट रही है। इसलिए मूल्य व नैतिकता का पतन हो रहा है। होली का मुख्य अर्थ पवित्रता है। हमें अपने विकारों में प्रसन्न न रहकर हंस की तरह पवित्र मोतियों को ही चुनना है। परमपिता परमात्मा से प्राप्त ज्ञान अर्जन करने वाला प्रत्येक अर्जुन है, जिसे अपने विकारों से युद्ध करना है। प्राचीन काल से होली पर तिलक लगा कर पैर छूने की परंपरा है। वर्तमान में नारी हर क्षेत्र में अग्रणी है। यह भी सच है, कि आज के समाज में नारी और छोटी-छोटी बालिकाएं भी सुरक्षित नहीं है। जगह-जगह उसके साथ बुरा बर्ताव व अत्याचार हो रहा है। हर मनुष्य आत्मा के दो पिता है पहले जन्म देने वाला वह दूसरा उस आत्मा को ज्ञान व शक्ति देकर पालना करने वाला, जो कि परमपिता भगवान कहलाता है। इस विश्वविद्यालय में परमात्मा का ज्ञान प्रतिदिन दिया जाता है क्योंकि विकारों और बुरी आदतों से छुटकारा पाना आसान नहीं है इसके लिए नियमित प्रयास की आवश्यकता है। सत्यता व पवित्रता द्वारा ही मूल्यनिष्ट, कर्तव्यनिष्ट समाज बन सकता है। शुद्ध आत्मिक स्मृति ही कैलाश पर्वत है और जिसकी स्मृति में सदा एक शिव बसता है वही सच्ची पार्वती है।
इस दौरान नूतन अग्रवाल, प्रधानाचार्य अनीता रियाल, नीरा गुप्ता, राजकुमार पुण्डीर आदि मौजूद रहें।